Ram Mandir: अयोध्या में राम भूमि बनकर लगभग तैयार है। 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा (Pran Pratistha) होने वाली है। अयोध्या मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करोड़ों भारतीयों का सपना है। इस सपने को पूरा करने के लिए कई भारतीयों ने अपनी जान भी गंवा दी, तो वहीं कई लोगों ने राम मंदिर के निर्माण को अपने जीवन का एक मात्र संकल्प बना लिया। राम मंदिर (Ram Mandir) के निर्माण कार्य में कई नेताओं की अमिट छाप रही है। ऐसे में उन नेताओं को याद करना जरूरी है जिन्होंने इस मंदिर के निर्माण में अहम भूमिका निभाई है।
लाल कृष्ण आडवाणी
लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) ने सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा का संकल्प किया था। आडवाणी की यह यात्रा 25 सितंबर 1990 को शुरू हुई थी। यात्रा शुरू करने से पहले लाल कृष्ण आडवाणी ने एक नारा दिया था जिसकी आज भी चर्चा होती है- ‘सौगंध राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे’।
आडवाणी ने न सिर्फ मंदिर के संकल्प को आगे बढ़ाने का काम किया है बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तराशा भी है। बता दें कि जिस रथ को आडवाणी ने शुरू किया था उसका सारथी कोई और नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी थे।
मुरली मनोहर जोशी
मुरली मनोहर जोशी (Murli manohar Joshi) का भी मंदिर के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कहा जाता है जब अयोध्या में कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद का ढ़ांचा गिराया था उसके पहले उनका संबोधन मुरली मनोहर जोशी ने ही किया था।
तब मुरली मनोहर ने बड़े ही जोशीले अंदाज में कहा था- “राम मंदिर बनकर रहेगा और इसे कोई ताकत रोक नहीं सकती”। मस्जिद गिरने के बाद 8 दिसंबर 1992 को उनकी गिरफ्तारी हुई थी।
कल्याण सिंह
बता दें, कल्याण सिंह (Kalyan Singh) ने राम मंदिर (Ram Mandir) के निर्माण में हुंकार भरी थी। कल्याण सिंह दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। जो भीड़ बाबरी मस्जिद की ओर जा रही थी उसे कल्याण सिंह ने ही संबोधित किया था। उन्होंने कहा था कि जब तक राम मंदिर नहीं बन जाता है, हमें रुकना नहीं, थकना नहीं है। आज भले ही वो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन जब जब राम मंदिर के निर्माण का इतिहास याद किया जाएगा, तब-तब कल्याण सिंह का नाम आएगा।
विनय कटियार
कहते हैं विनय कटियार ने अयोध्या (Ayodhya) ही नहीं पूरे देश का इतिहास बदलने का काम किया है। विनय कटियार उनलोगों में से हैं जिन्होंने राम जन्मभूमि और मंदिर निर्माण के लिए बहुत लंबा संघर्ष किया था। राम मंदिर आंदोलन (Ram Mandir Movement) के समय उनकी छवि बजरंग दल (Bajrang Dal) में ‘फायर ब्रांड’ नेता के रूप में बनी।
उमा भारती
उमा भारती राम जन्मभूमि आंदोल का मुख्य चेहरा रही हैं। मंदिर आंदोलन में न सिर्फ पुरुषों ने अहम भूमिका निभाई है बल्कि महिलाओं ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है। उमा भारती जोशी-आडवाणी की तुलना में काफी कम उम्र की थीं। कहा जाता है उन्होंने इस पूरे प्रकरण में अपना सर मुंडवा लिया था और प्रतिबंध के बावजूद पुरुषों का भेष धरकर मंदिर के प्रांगण में घुस गई थीं।
कामेश्वर चौपाल
9 नवंबर को 1989 को कामेश्वर चौपाल ने राम मंदिर की पहली ईंट रखी थी। दलित नेता कामेश्वर चौपाल ने राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। उस समय वो सनातन धर्म की एकता का प्रतीक बनकर उभरे थे।